भारत में ड्रोन बीमा से जुड़े 50 आवश्यक शब्द (50 Terms Related To Drone Insurance in India- Hindi)

Terms Related To Drone Insurance- Hindi

इस पोस्ट में हम जानेंगे भारत में ड्रोन बीमा से जुड़े 50 आवश्यक शब्द(50 Terms Related To Drone Insurance in Hindi)- उनकी परिभाषा, विस्तृत विवरण , उनके उदहारण और महत्व। भारत में ड्रोन उद्योग तेज़ी से बढ़ रहा है — कृषि, फ़िल्म निर्माण, लॉजिस्टिक्स, निगरानी, और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है।
लेकिन ड्रोन संचालन के साथ कई तरह के जोखिम (risks) भी जुड़े होते हैं — जैसे दुर्घटनाएँ, संपत्ति को नुकसान, या किसी व्यक्ति को चोट लगना।
इन्हीं जोखिमों से बचाव के लिए आवश्यक है ड्रोन इंश्योरेंस

DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने Drone Rules, 2021 के Rule 44 के तहत 250 ग्राम से अधिक वजन वाले सभी ड्रोन के लिए थर्ड-पार्टी लाइबिलिटी इंश्योरेंस को अनिवार्य बनाया है।
अब आइए विस्तार से जानते हैं ड्रोन बीमा से जुड़े 50 प्रमुख शब्दों के अर्थ और महत्व।


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1 🛩️ भारत में ड्रोन बीमा से जुड़े 50 आवश्यक शब्द (50 Terms Related To Drone Insurance in India- Hindi)

🛩️ भारत में ड्रोन बीमा से जुड़े 50 आवश्यक शब्द (50 Terms Related To Drone Insurance in India- Hindi)

1. थर्ड-पार्टी लाइबिलिटी इंश्योरेंस (Third-Party Liability Insurance)

परिभाषा:
यह बीमा ड्रोन से किसी तीसरे व्यक्ति या संपत्ति को हुए नुकसान के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। यदि ड्रोन किसी की गाड़ी, इमारत, या व्यक्ति को चोट पहुँचाता है, तो यह बीमा नुकसान की भरपाई करता है।

विवरण:

  • कवरेज: शारीरिक चोट, मृत्यु, विकलांगता, या संपत्ति की क्षति।
  • कवरेज लिमिट: संपत्ति क्षति के लिए अधिकतम ₹7.5 लाख तक और शारीरिक चोट के लिए कोई सीमा नहीं।
  • कानूनी आवश्यक: DGCA के Drone Rules 2021 के तहत 250 ग्राम से अधिक वज़न वाले ड्रोन के लिए अनिवार्य।

उदाहरण:
यदि किसी फ़िल्म शूट के दौरान आपका ड्रोन गलती से किसी गाड़ी से टकरा जाता है और वह क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो यह बीमा उस मरम्मत की लागत को कवर करेगा।

महत्व:
यह बीमा न केवल कानूनी अनुपालन के लिए आवश्यक है, बल्कि किसी भी ऑपरेटर को भारी वित्तीय जोखिम से बचाता है।


2. हल कवरेज (Hull Coverage)

परिभाषा:
हल कवरेज ड्रोन के भौतिक नुकसान या चोरी से सुरक्षा प्रदान करता है। यह ड्रोन के “बॉडी” या मुख्य ढांचे को कवर करता है।

विवरण:

  • कवरेज: दुर्घटनाएँ, टक्कर, आग, प्राकृतिक आपदाएँ (बाढ़, भूकंप), चोरी आदि।
  • अपवाद (Exclusions): सामान्य घिसावट, जानबूझकर किया गया नुकसान, या अवैध रूप से उड़ाया गया ड्रोन।
  • प्रीमियम: आमतौर पर ड्रोन के मूल्य का 0.5% से 10% तक।

उदाहरण:
यदि एक सर्वे ड्रोन ऊँचाई से गिरकर टूट जाता है, तो बीमा कंपनी मरम्मत या प्रतिस्थापन की लागत वहन करती है।

महत्व:
यह कवरेज ऑपरेटर को महंगे ड्रोन की मरम्मत या नुकसान के बोझ से बचाता है।


3. पेलोड कवरेज (Payload Coverage)

परिभाषा:
यह बीमा ड्रोन पर लगे अतिरिक्त उपकरणों जैसे कैमरा, सेंसर, स्प्रेयर आदि को सुरक्षा प्रदान करता है।

विवरण:

  • कवरेज: हाई-वैल्यू उपकरण जैसे LiDAR सेंसर, HD कैमरा, या थर्मल स्कैनर।
  • कस्टमाइजेशन: ऑपरेटर पेलोड के प्रकार और मूल्य के अनुसार कवरेज बढ़ा सकते हैं।
  • अपवाद: अवैध रूप से बदले गए उपकरण या गैर-मानक इंस्टॉलेशन।

उदाहरण:
अगर सर्वे के दौरान ड्रोन का LiDAR सेंसर टूट जाता है, तो बीमा कंपनी उसकी मरम्मत का खर्च देगी।

महत्व:
उन ऑपरेटरों के लिए आवश्यक जो महंगे और तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं।


4. पर्सनल एक्सीडेंट कवरेज (Personal Accident Coverage)

परिभाषा:
ड्रोन संचालन के दौरान ऑपरेटर को लगी चोट, विकलांगता या मृत्यु की स्थिति में वित्तीय सुरक्षा देता है।

विवरण:

  • कवरेज: मेडिकल खर्च, अस्पताल बिल, विकलांगता लाभ, और आय का नुकसान।
  • प्रीमियम: ₹500 से ₹2,000 प्रतिवर्ष।
  • कवरेज सीमा: चुने गए बीमा के आधार पर ₹1 लाख से ₹10 लाख तक।

उदाहरण:
यदि एक ऑपरेटर ड्रोन के ब्लेड से घायल हो जाता है, तो बीमा उसके इलाज का खर्च वहन करता है।

महत्व:
ऑपरेटर सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक, विशेष रूप से व्यावसायिक उपयोग में।


5. बीवीएलओएस कवरेज (Beyond Visual Line of Sight Coverage)

परिभाषा:
यह कवरेज तब लागू होती है जब ड्रोन को ऑपरेटर की दृष्टि सीमा से बाहर उड़ाया जाता है (BVLOS संचालन)।

विवरण:

  • कवरेज: लंबी दूरी की उड़ान के दौरान सिग्नल लॉस, टक्कर, या नेविगेशन एरर से सुरक्षा।
  • नियम: DGCA की मंजूरी आवश्यक।
  • जोखिम: इस प्रकार के संचालन में तकनीकी असफलता की संभावना अधिक होती है।

उदाहरण:
एक ड्रोन जो 10 किलोमीटर दूर मेडिकल किट पहुंचा रहा है, यदि वह क्रैश हो जाए, तो यह बीमा कवरेज लागू होता है।

महत्व:
डिलीवरी, कृषि और आपदा प्रबंधन में उपयोग होने वाले ड्रोन के लिए अनिवार्य कवरेज।


6. नाइट फ्लाइंग कवरेज (Night Flying Coverage)

परिभाषा:
यह कवरेज उन ड्रोन उड़ानों के लिए होती है जो सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले होती हैं।

विवरण:

  • कवरेज: कम दृश्यता की स्थिति में टक्कर या नेविगेशन त्रुटि से सुरक्षा।
  • आवश्यकता: मानक पॉलिसी केवल दिन की उड़ानों को कवर करती है, इसलिए यह ऐड-ऑन ज़रूरी होता है।

उदाहरण:
रात में शादी की फ़ोटोग्राफ़ी करते समय ड्रोन क्रैश हो जाए, तो नुकसान की भरपाई होती है।

महत्व:
रात्रिकालीन फ़िल्मिंग या इवेंट कवर करने वाले ऑपरेटरों के लिए अत्यंत उपयोगी।


7. आरपीटीओ / ट्रेनिंग कवरेज (RPTO / Training Coverage)

परिभाषा:
यह बीमा प्रशिक्षण संस्थानों (Remote Pilot Training Organizations) द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन के लिए होता है।

विवरण:

  • कवरेज: प्रशिक्षण के दौरान ड्रोन, प्रशिक्षक, या विद्यार्थी को हुआ नुकसान।
  • कानूनी पहलू: DGCA के प्रशिक्षण मानकों के अनुरूप RPTO के लिए अनिवार्य।

उदाहरण:
यदि ट्रेनिंग के दौरान कोई छात्र गलती से ड्रोन क्रैश कर देता है, तो बीमा मरम्मत का खर्च उठाता है।

महत्व:
प्रशिक्षण संस्थानों और छात्रों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।


8. ग्राउंड इक्विपमेंट कवरेज (Ground Equipment Coverage)

परिभाषा:
ड्रोन के साथ उपयोग होने वाले ज़मीनी उपकरण जैसे कंट्रोल स्टेशन, चार्जर, एंटेना या मॉनिटर को सुरक्षा प्रदान करता है।

विवरण:

  • कवरेज: दुर्घटना, चोरी या प्राकृतिक आपदा से नुकसान।
  • अपवाद: जानबूझकर किया गया नुकसान या अनधिकृत उपयोग।

उदाहरण:
अगर किसी तूफ़ान में ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो बीमा उसकी मरम्मत का खर्च देगा।

महत्व:
उन ऑपरेटरों के लिए जो जटिल ग्राउंड सिस्टम के साथ काम करते हैं।


9. ट्रांज़िट डैमेज ऐड-ऑन (Transit Damage Add-On)

परिभाषा:
यह कवरेज तब लागू होती है जब ड्रोन या उसका उपकरण यात्रा के दौरान क्षतिग्रस्त या चोरी हो जाए।

विवरण:

  • कवरेज: सड़क, रेल या हवाई परिवहन के दौरान नुकसान।
  • महत्व: मोबाइल ऑपरेशन्स या फील्ड वर्क के लिए बहुत ज़रूरी।

उदाहरण:
अगर एक सर्वे कंपनी अपना ड्रोन ट्रक में भेज रही है और रास्ते में वह टूट जाता है, तो बीमा नुकसान की भरपाई करेगा।


10. नो-क्लेम बोनस (No-Claim Bonus – NCB)

परिभाषा:
यदि पॉलिसी अवधि में कोई दावा (क्लेम) नहीं किया जाता, तो अगले वर्ष प्रीमियम पर छूट दी जाती है।

विवरण:

  • छूट दर: आमतौर पर 5% से 20% तक।
  • उद्देश्य: ऑपरेटर को सुरक्षित उड़ान के लिए प्रोत्साहित करना।

उदाहरण:
यदि एक ऑपरेटर ने दो वर्षों तक कोई दावा नहीं किया, तो उसे अगले प्रीमियम पर 10% की छूट मिलेगी।

महत्व:
लंबे समय में लागत बचाने और अच्छी उड़ान प्रथाओं को बढ़ावा देने में मदद करता है।


11. प्रीमियम (Premium)

परिभाषा:
प्रीमियम वह राशि है जो पॉलिसीधारक बीमा कंपनी को कवरेज प्राप्त करने के लिए चुकाता है। यह बीमा का मूल मूल्य होता है — यानी, जितना अधिक जोखिम, उतना अधिक प्रीमियम।

विवरण:

  • प्रीमियम तय करने वाले कारक:
    • ड्रोन का मूल्य और मॉडल
    • उपयोग का प्रकार (व्यावसायिक या मनोरंजन)
    • ऑपरेटर का अनुभव
    • उड़ान क्षेत्र (शहरी या ग्रामीण)
    • कवरेज की व्यापकता (हुल, पेलोड, थर्ड पार्टी आदि)
  • प्रीमियम अवधि: आमतौर पर वार्षिक (एक वर्ष) होती है, लेकिन कुछ कंपनियाँ “Pay-As-You-Fly” विकल्प भी देती हैं।

उदाहरण:
₹5 लाख मूल्य के एक व्यावसायिक ड्रोन के लिए सालाना प्रीमियम ₹10,000 से ₹50,000 के बीच हो सकता है, उपयोग और जोखिम के अनुसार।

महत्व:
प्रीमियम समझना इसलिए आवश्यक है ताकि ऑपरेटर अपने बजट और उपयोग के अनुरूप पॉलिसी चुन सकें।


12. डिडक्टिबल (Deductible)

परिभाषा:
डिडक्टिबल वह राशि है जो किसी दुर्घटना या नुकसान की स्थिति में बीमा कंपनी द्वारा भुगतान करने से पहले पॉलिसीधारक को स्वयं देनी होती है।

विवरण:

  • प्रभाव: जितना अधिक डिडक्टिबल होगा, उतना कम प्रीमियम देना होगा।
  • संतुलन: कम डिडक्टिबल से प्रीमियम बढ़ता है, लेकिन दावा करते समय आपकी जेब से कम खर्च आता है।

उदाहरण:
यदि किसी ड्रोन की मरम्मत की लागत ₹50,000 है और डिडक्टिबल ₹10,000 है, तो बीमा कंपनी ₹40,000 का भुगतान करेगी।

महत्व:
डिडक्टिबल पॉलिसी की लागत और जोखिम का संतुलन बनाए रखता है — समझदारी से चुनना जरूरी है।


13. एक्सक्लूज़न (Exclusions)

परिभाषा:
एक्सक्लूज़न वे परिस्थितियाँ या घटनाएँ होती हैं जिन्हें बीमा कवरेज में शामिल नहीं किया जाता।

विवरण:

  • आम एक्सक्लूज़न:
    • जानबूझकर किया गया नुकसान
    • अवैध उड़ान क्षेत्र (नो-फ्लाई ज़ोन) में उड़ाना
    • शराब या नशे की स्थिति में उड़ान
    • अनधिकृत संशोधन या उपयोग
  • महत्व: एक्सक्लूज़न पढ़े बिना पॉलिसी लेना जोखिमपूर्ण हो सकता है।

उदाहरण:
यदि कोई ऑपरेटर अपने ड्रोन को नो-फ्लाई ज़ोन में उड़ाता है और वह क्रैश हो जाता है, तो बीमा कंपनी दावा अस्वीकार कर सकती है।

महत्व:
क्लेम रिजेक्शन से बचने के लिए एक्सक्लूज़न की पूरी सूची समझना बेहद जरूरी है।


14. पॉलिसी अवधि (Policy Period)

परिभाषा:
वह समयावधि जिसके दौरान बीमा पॉलिसी प्रभावी रहती है — यानी कवरेज सक्रिय होता है।

विवरण:

  • सामान्य अवधि: 12 महीने (1 वर्ष)
  • विकल्प: अल्पकालिक (शॉर्ट-टर्म) या “Pay-As-You-Fly” योजनाएँ भी उपलब्ध हैं।
  • रिन्यूअल (Renewal): पॉलिसी समाप्त होने से पहले उसका नवीनीकरण कराना आवश्यक है।

उदाहरण:
यदि पॉलिसी 1 जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2025 तक है, तो इस अवधि में हुई किसी भी क्षति पर दावा किया जा सकता है।

महत्व:
सतत कवरेज बनाए रखना आवश्यक है — लापरवाही से पॉलिसी लैप्स हो सकती है और नुकसान का दावा अमान्य हो जाएगा।


15. सम इंश्योर्ड (Sum Insured)

परिभाषा:
यह वह अधिकतम राशि है जो बीमा कंपनी किसी नुकसान के बदले भुगतान कर सकती है।

विवरण:

  • निर्धारण: ड्रोन के बाजार मूल्य, पेलोड, और ऑपरेशन की प्रकृति पर आधारित।
  • प्रभाव: यह राशि जितनी अधिक होगी, सुरक्षा उतनी व्यापक लेकिन प्रीमियम भी अधिक।
  • विकल्प: “Agreed Value” (पूर्व निर्धारित मूल्य) या “Market Value” पर आधारित पॉलिसी।

उदाहरण:
₹10 लाख के ड्रोन के लिए बीमा पॉलिसी का सम इंश्योर्ड ₹10 लाख तय किया गया है। यदि ड्रोन पूरी तरह नष्ट हो जाए, तो बीमा कंपनी ₹10 लाख तक भुगतान करेगी।

महत्व:
यह बीमा सुरक्षा की सीमा तय करता है — इसलिए इसे सोच-समझकर निर्धारित करें।


16. कम्प्रिहेन्सिव कवरेज (Comprehensive Coverage)

परिभाषा:
यह एक “ऑल-इन-वन” बीमा है जो हुल, पेलोड, थर्ड पार्टी, और अतिरिक्त जोखिमों को कवर करता है।

विवरण:

  • कवरेज: दुर्घटना, चोरी, मौसम से नुकसान, तीसरे पक्ष को नुकसान, और वैकल्पिक ऐड-ऑन।
  • उपयोगकर्ता: व्यावसायिक कंपनियों या सरकारी संस्थानों के लिए उपयुक्त।

उदाहरण:
यदि एक ड्रोन क्रैश हो जाता है और किसी की संपत्ति को नुकसान पहुँचाता है, तो यह पॉलिसी दोनों नुकसान (ड्रोन और संपत्ति) को कवर करेगी।

महत्व:
यह सबसे सुरक्षित और संतुलित विकल्प है, विशेष रूप से बड़ी ऑपरेशनल कंपनियों के लिए।


17. नेम्ड पेरिल्स कवरेज (Named Perils Coverage)

परिभाषा:
यह कवरेज केवल उन्हीं जोखिमों को कवर करती है जिन्हें पॉलिसी में नाम से सूचीबद्ध किया गया हो।

विवरण:

  • फायदा: प्रीमियम कम होता है।
  • सीमा: यदि कोई अनलिस्टेड जोखिम होता है, तो दावा अस्वीकृत हो सकता है।
  • उदाहरण जोखिम: आग, चोरी, या टक्कर।

उदाहरण:
यदि आपकी पॉलिसी में केवल “आग और चोरी” कवर है और ड्रोन क्रैश हो जाता है, तो दावा नहीं मिलेगा।

महत्व:
कम बजट वाले या सीमित उपयोग वाले ड्रोन ऑपरेटरों के लिए उपयुक्त।


18. ऑल-रिस्क कवरेज (All-Risks Coverage)

परिभाषा:
यह पॉलिसी सभी प्रकार के जोखिमों को कवर करती है, सिवाय जो स्पष्ट रूप से बाहर रखे गए हों।

विवरण:

  • कवरेज: दुर्घटना, चोरी, मौसम से नुकसान, या तकनीकी खराबी — सभी शामिल।
  • अपवाद: वे घटनाएँ जिन्हें पॉलिसी में “Exclusions” के रूप में बताया गया हो।

उदाहरण:
अगर ड्रोन अचानक तूफ़ान में उड़कर खो जाता है और “तूफ़ान” एक्सक्लूज़न में शामिल नहीं है, तो बीमा भुगतान करेगा।

महत्व:
उच्च-मूल्य या जोखिमपूर्ण परियोजनाओं के लिए सबसे व्यापक सुरक्षा।


19. ऑपरेटर लाइबिलिटी (Operator Liability)

परिभाषा:
ड्रोन संचालन के दौरान ऑपरेटर की गलती से हुए नुकसान की जिम्मेदारी को कवर करता है।

विवरण:

  • कवरेज: मानवीय त्रुटि (Human Error), लापरवाही या गलत संचालन।
  • उदाहरण जोखिम: किसी इमारत या वाहन से टक्कर लगना।

उदाहरण:
यदि ऑपरेटर नियंत्रण खो देता है और ड्रोन किसी खिड़की से टकरा कर उसे तोड़ देता है, तो यह बीमा उस नुकसान की भरपाई करेगा।

महत्व:
कानूनी रूप से ऑपरेटर को जिम्मेदार ठहराए जाने की स्थिति में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।


20. पब्लिक लाइबिलिटी (Public Liability)

परिभाषा:
यह कवरेज ड्रोन से सार्वजनिक स्थानों में लोगों या संपत्तियों को हुए नुकसान के लिए होती है।

विवरण:

  • कवरेज: सार्वजनिक कार्यक्रम, सड़कों, या भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में हुई क्षति।
  • अपवाद: निजी संपत्ति या प्रतिबंधित क्षेत्रों में की गई उड़ानें।

उदाहरण:
यदि किसी इवेंट के दौरान ड्रोन भीड़ पर गिर जाता है और किसी को चोट लगती है, तो यह बीमा चिकित्सा खर्च और कानूनी दावे को कवर करेगा।

महत्व:
भीड़ या सार्वजनिक क्षेत्रों में काम करने वाले ड्रोन ऑपरेटरों के लिए अत्यावश्यक कवरेज।


21. प्रोडक्ट लाइबिलिटी (Product Liability)

परिभाषा:
यदि किसी ड्रोन या उससे जुड़ा उपकरण (जैसे कैमरा, सेंसर, बैटरी) निर्माण दोष या तकनीकी खराबी के कारण किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुँचाए, तो यह कवरेज उस नुकसान की जिम्मेदारी को कवर करता है।

विवरण:

  • यह कवरेज मुख्यतः ड्रोन निर्माताओं, वितरकों और विक्रेताओं के लिए होता है।
  • अगर उत्पाद में निर्माण दोष है, तो उपयोगकर्ता या तीसरा पक्ष बीमा द्वारा कवर होता है।
  • इसमें कानूनी खर्च, मुआवज़ा, और मुकदमेबाजी की लागत शामिल होती है।

उदाहरण:
यदि एक ड्रोन की बैटरी निर्माण दोष के कारण उड़ान के दौरान फट जाती है और किसी वाहन को नुकसान पहुँचाती है, तो प्रोडक्ट लाइबिलिटी बीमा उस नुकसान की भरपाई करेगा।

महत्व:
यह कवरेज ड्रोन निर्माता कंपनियों के लिए अत्यंत आवश्यक है ताकि उत्पादन दोषों से उत्पन्न कानूनी जोखिमों से सुरक्षा मिल सके।


22. निजता उल्लंघन कवरेज (Invasion of Privacy Coverage)

परिभाषा:
ड्रोन संचालन के दौरान किसी व्यक्ति या निजी संपत्ति की निजता (Privacy) का अनजाने में उल्लंघन हो जाए, तो यह कवरेज कानूनी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

विवरण:

  • कवरेज: कानूनी मुआवज़ा, वकील की फीस, और कोर्ट के आदेशों से संबंधित खर्च।
  • संबंधित जोखिम: अनजाने में किसी की फोटो या वीडियो लेना, निजी संपत्ति की रिकॉर्डिंग, आदि।
  • नियम: मीडिया, पत्रकारिता, और निगरानी (Surveillance) के लिए विशेष रूप से आवश्यक।

उदाहरण:
अगर कोई ड्रोन शादी समारोह के ऊपर उड़ान के दौरान किसी निजी घर की वीडियो रिकॉर्डिंग कर लेता है और उस पर शिकायत होती है, तो यह बीमा कानूनी खर्चों को कवर करेगा।

महत्व:
भारत में डेटा गोपनीयता और निजता कानूनों के सख्त होते जाने के कारण यह कवरेज तेजी से महत्वपूर्ण हो रहा है।


23. एरियल फ़ोटोग्राफ़ी कवरेज (Aerial Photography Coverage)

परिभाषा:
यह कवरेज उन ड्रोन ऑपरेटरों के लिए होती है जो फोटोग्राफ़ी, वीडियोग्राफ़ी या फ़िल्म निर्माण के लिए ड्रोन का उपयोग करते हैं।

विवरण:

  • कवरेज: कैमरा, गिंबल, मेमोरी डिवाइस, और अन्य फोटोग्राफी उपकरणों को नुकसान से सुरक्षा।
  • अतिरिक्त लाभ: शूटिंग के दौरान तीसरे पक्ष को हुई क्षति भी कवर होती है।

उदाहरण:
किसी फ़िल्म की शूटिंग के दौरान ड्रोन कैमरा पेड़ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो जाए — बीमा कंपनी मरम्मत या प्रतिस्थापन का खर्च वहन करेगी।

महत्व:
फ़िल्म निर्माताओं, प्रोडक्शन हाउसेज़, और स्वतंत्र वीडियोग्राफ़र्स के लिए यह कवरेज आवश्यक है क्योंकि उनके उपकरणों की लागत बहुत अधिक होती है।


24. कृषि ड्रोन कवरेज (Agricultural Drone Coverage)

परिभाषा:
यह कवरेज उन ड्रोन के लिए होती है जो कृषि कार्यों जैसे फसल छिड़काव (Spraying), निगरानी (Monitoring), और सर्वेक्षण (Surveying) में उपयोग होते हैं।

विवरण:

  • कवरेज: पेलोड (स्प्रेयर, कैमरा, सेंसर) की क्षति या खराबी।
  • अतिरिक्त सुरक्षा: प्राकृतिक आपदाओं, दुर्घटनाओं, और रासायनिक रिसाव (Chemical Leakage) से नुकसान।

उदाहरण:
यदि छिड़काव के दौरान ड्रोन का स्प्रे पंप खराब हो जाए या खेत में गिरकर क्षतिग्रस्त हो जाए, तो बीमा उसकी मरम्मत या प्रतिस्थापन का खर्च कवर करेगा।

महत्व:
भारत के तेजी से विकसित होते कृषि ड्रोन उद्योग में यह कवरेज किसानों और एग्री-टेक कंपनियों के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।


25. ड्रोन रिप्लेसमेंट कॉस्ट (Drone Replacement Cost)

परिभाषा:
यदि ड्रोन पूरी तरह से नष्ट हो जाता है या चोरी हो जाता है, तो यह कवरेज उसी मॉडल या समान मूल्य के नए ड्रोन को खरीदने की लागत प्रदान करती है।

विवरण:

  • कवरेज का प्रकार:
    • Actual Cash Value (ACV): वर्तमान बाजार मूल्य पर आधारित।
    • Agreed Value: बीमा कंपनी और ग्राहक द्वारा पहले से तय की गई राशि।

उदाहरण:
यदि ₹5 लाख मूल्य का ड्रोन क्रैश में पूरी तरह नष्ट हो जाता है, तो यह कवरेज नया ड्रोन खरीदने के लिए ₹5 लाख तक का भुगतान करेगी।

महत्व:
ड्रोन आधारित व्यवसायों को तुरंत संचालन पुनः शुरू करने में मदद करता है — खासकर मीडिया, लॉजिस्टिक्स और कृषि क्षेत्रों में।


26. लॉस ऑफ़ यूज़ कवरेज (Loss of Use Coverage)

परिभाषा:
जब ड्रोन किसी दुर्घटना या मरम्मत के कारण उपयोग में नहीं लाया जा सकता, तो यह कवरेज उस अवधि के दौरान हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई करती है।

विवरण:

  • कवरेज: किराया, ऑपरेशनल नुकसान, और व्यवसाय में आय की कमी।
  • लाभ: ड्रोन मरम्मत के दौरान कार्य बंद नहीं पड़ता।

उदाहरण:
एक सर्वे कंपनी का ड्रोन खराब हो जाता है और 15 दिनों तक मरम्मत में रहता है — बीमा कंपनी उस अवधि का आय नुकसान कवर करेगी।

महत्व:
व्यावसायिक ड्रोन ऑपरेटरों के लिए यह कवरेज बेहद उपयोगी है क्योंकि यह ऑपरेशनल निरंतरता सुनिश्चित करती है।


27. मैकेनिकल ब्रेकडाउन कवरेज (Mechanical Breakdown Coverage)

परिभाषा:
यह कवरेज उन यांत्रिक या विद्युत खराबियों के लिए होती है जो किसी दुर्घटना के कारण नहीं बल्कि आंतरिक खराबी से होती हैं।

विवरण:

  • कवरेज: मोटर, कंट्रोल बोर्ड, बैटरी, या नेविगेशन सिस्टम की विफलता।
  • अपवाद: जानबूझकर किया गया नुकसान या अनुचित रखरखाव।

उदाहरण:
यदि ड्रोन का मोटर उड़ान के दौरान अचानक बंद हो जाता है और ड्रोन गिर जाता है, तो यह बीमा उस क्षति की मरम्मत का खर्च कवर करेगा।

महत्व:
महंगे और तकनीकी रूप से जटिल ड्रोन के लिए आवश्यक कवरेज — खासकर वे जो लंबे समय तक कार्यरत रहते हैं।


28. मौसम संबंधी नुकसान कवरेज (Weather-Related Damage Coverage)

परिभाषा:
यह कवरेज उन नुकसान को कवर करती है जो प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों (जैसे तेज हवा, बारिश, तूफान, बिजली आदि) से होते हैं।

विवरण:

  • कवरेज: बारिश, बिजली गिरना, बर्फ, या चक्रवात से हुए नुकसान।
  • सीमा: केवल अप्रत्याशित घटनाएँ — लापरवाही से उड़ान भरना कवर नहीं।

उदाहरण:
यदि ड्रोन अचानक आए तूफ़ान में नियंत्रण खो देता है और क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो बीमा उसकी मरम्मत का खर्च वहन करेगा।

महत्व:
भारत जैसे विविध जलवायु वाले देश में यह कवरेज बहुत उपयोगी है, खासकर पहाड़ी और समुद्री क्षेत्रों में काम करने वाले ऑपरेटरों के लिए।


29. साइबर लाइबिलिटी कवरेज (Cyber Liability Coverage)

परिभाषा:
यदि ड्रोन या उसके सिस्टम पर साइबर हमला होता है या डेटा चोरी हो जाता है, तो यह कवरेज डेटा और सिस्टम दोनों की सुरक्षा प्रदान करती है।

विवरण:

  • कवरेज: डेटा हैकिंग, अनधिकृत एक्सेस, रिमोट कंट्रोल चोरी, या सिस्टम फेल्योर।
  • अतिरिक्त लाभ: कानूनी सहायता और डेटा रिकवरी का खर्च।

उदाहरण:
अगर किसी सर्वे ड्रोन का डेटा किसी साइबर अटैक में लीक हो जाता है, तो बीमा डेटा रिकवरी और कानूनी खर्च दोनों को कवर करेगा।

महत्व:
AI और IoT आधारित आधुनिक ड्रोन के लिए यह कवरेज अनिवार्य है क्योंकि डिजिटल जोखिम लगातार बढ़ रहे हैं।


30. इमरजेंसी लैंडिंग कवरेज (Emergency Landing Coverage)

परिभाषा:
जब किसी आपात स्थिति (जैसे बैटरी फेल होना, सिस्टम खराबी, या मौसम का अचानक बिगड़ना) में ड्रोन को मजबूरन उतरना पड़े और उस दौरान नुकसान हो जाए, तो यह कवरेज सुरक्षा देती है।

विवरण:

  • कवरेज: ड्रोन की क्षति, आसपास की संपत्ति को नुकसान, या किसी व्यक्ति को चोट लगने की स्थिति।
  • सीमा: केवल अप्रत्याशित तकनीकी या पर्यावरणीय कारणों पर लागू।

उदाहरण:
यदि उड़ान के दौरान बैटरी अचानक फेल हो जाती है और ड्रोन किसी खेत में इमरजेंसी लैंडिंग के दौरान क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो यह कवरेज उस नुकसान की भरपाई करेगी।

महत्व:
हर प्रकार के ड्रोन ऑपरेशन में यह सुरक्षा बेहद उपयोगी है क्योंकि अप्रत्याशित स्थितियाँ हमेशा संभव रहती हैं।


31. भौगोलिक सीमाएँ (Geographical Limits)

परिभाषा:
यह उस क्षेत्र या भौगोलिक सीमा को दर्शाती है जिसके भीतर बीमा पॉलिसी मान्य होती है। इसके बाहर हुई कोई भी घटना बीमा कवरेज में नहीं आती।

विवरण:

  • सीमाएँ: कुछ पॉलिसियाँ केवल भारत के भीतर मान्य होती हैं, जबकि कुछ अंतरराष्ट्रीय कवरेज प्रदान करती हैं।
  • महत्वपूर्ण बिंदु: यदि ड्रोन विदेश या सीमा क्षेत्र में उपयोग किया जाता है, तो पॉलिसी में उस क्षेत्र का उल्लेख होना आवश्यक है।

उदाहरण:
यदि आपकी पॉलिसी केवल “भारत में संचालन” तक सीमित है और आप नेपाल में शूटिंग करते समय ड्रोन क्षतिग्रस्त करते हैं, तो दावा अस्वीकार कर दिया जाएगा।

महत्व:
संचालन क्षेत्र के अनुसार भौगोलिक कवरेज का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में।


32. पॉलिसी एंडोर्समेंट (Policy Endorsement)

परिभाषा:
यह पॉलिसी में किया गया संशोधन (Amendment) या परिवर्तन होता है, जिससे कवरेज, शर्तें या सीमाएँ जोड़ी, बदली या हटाई जा सकती हैं।

विवरण:

  • उपयोग: नई कवरेज जोड़ने, सीमा बदलने, या अतिरिक्त जोखिम शामिल करने के लिए।
  • प्रकार: “Add-on”, “Modification” या “Extension Endorsement”।

उदाहरण:
यदि आपके पास सामान्य पॉलिसी है और आप “नाइट फ्लाइंग कवरेज” जोड़ना चाहते हैं, तो बीमा कंपनी इसे “एंडोर्समेंट” के रूप में शामिल करेगी।

महत्व:
यह लचीलापन देता है ताकि पॉलिसी को बदलते उपयोग या जोखिम के अनुसार अपडेट किया जा सके।


33. दावा प्रक्रिया (Claims Process)

परिभाषा:
बीमा कंपनी को किसी नुकसान या दुर्घटना की सूचना देने और भुगतान प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया को “क्लेम प्रोसेस” कहा जाता है।

विवरण:

  • मुख्य चरण:
    1. घटना की रिपोर्ट बनाना (पुलिस या DGCA रिपोर्ट सहित)।
    2. बीमा कंपनी को सूचित करना।
    3. आवश्यक दस्तावेज़ (फोटो, सीरियल नंबर, ड्रोन रजिस्ट्रेशन आदि) जमा करना।
    4. सर्वेयर द्वारा जांच।
    5. दावा निपटान और भुगतान।
  • समय सीमा: घटना के 24 से 48 घंटे के भीतर सूचना देना अनिवार्य होता है।

उदाहरण:
यदि ड्रोन सर्वे के दौरान क्रैश हो जाता है, तो ऑपरेटर को तुरंत बीमा कंपनी को सूचित कर आवश्यक दस्तावेज़ भेजने होते हैं ताकि क्लेम जल्दी निपटे।

महत्व:
सही और समय पर क्लेम प्रक्रिया जानना आवश्यक है ताकि भुगतान में देरी या अस्वीकृति न हो।


34. सैल्वेज वैल्यू (Salvage Value)

परिभाषा:
जब ड्रोन दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद कुछ हिस्से (जैसे मोटर, कैमरा आदि) पुनः उपयोग योग्य होते हैं, तो उनकी बची हुई कीमत को साल्वेज वैल्यू कहा जाता है।

विवरण:

  • प्रभाव: बीमा भुगतान से यह राशि घटाई जाती है।
  • निर्धारण: बीमा सर्वेयर द्वारा क्षतिग्रस्त हिस्सों का मूल्यांकन किया जाता है।

उदाहरण:
यदि ड्रोन की कुल कीमत ₹2 लाख है, और क्षतिग्रस्त होने के बाद बचे हुए हिस्सों की कीमत ₹20,000 है, तो बीमा भुगतान ₹1.8 लाख होगा।

महत्व:
यह बीमा भुगतान की गणना को प्रभावित करता है — इसलिए सर्वे रिपोर्ट ध्यान से जांचनी चाहिए।


35. मूल्यह्रास (Depreciation)

परिभाषा:
समय और उपयोग के साथ ड्रोन की कीमत में जो कमी आती है, उसे मूल्यह्रास कहा जाता है।

विवरण:

  • कारक: आयु, उपयोग, तकनीकी अपग्रेड, और रखरखाव की स्थिति।
  • प्रभाव: पुराने ड्रोन पर क्लेम के समय भुगतान कम मिलता है।

उदाहरण:
यदि दो वर्ष पुराने ड्रोन का बीमा मूल्य ₹2 लाख है और उस पर 20% मूल्यह्रास लागू होता है, तो बीमा भुगतान ₹1.6 लाख होगा।

महत्व:
मूल्यह्रास की दर जानना आवश्यक है ताकि वास्तविक क्लेम राशि का अनुमान पहले से लगाया जा सके।


36. सब्रोगेशन (Subrogation)

परिभाषा:
जब बीमा कंपनी किसी नुकसान का भुगतान कर देती है, तो उसे यह अधिकार मिल जाता है कि वह जिम्मेदार तीसरे पक्ष से वह राशि वसूल करे — इसे सब्रोगेशन कहा जाता है।

विवरण:

  • कानूनी प्रक्रिया: बीमा कंपनी पॉलिसीधारक की ओर से कार्रवाई कर सकती है।
  • उद्देश्य: बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किए गए दावे की वसूली करना।

उदाहरण:
यदि आपके ड्रोन को किसी अन्य व्यक्ति के ड्रोन से टक्कर लगती है और आपकी कंपनी भुगतान कर देती है, तो वह दोषी ऑपरेटर से वह राशि वापस वसूल सकती है।

महत्व:
यह प्रक्रिया बीमा प्रणाली को निष्पक्ष बनाती है और गलत पक्ष को जिम्मेदार ठहराती है।


37. इंडेम्निटी (Indemnity)

परिभाषा:
इंडेम्निटी का अर्थ है — बीमा कंपनी द्वारा पॉलिसीधारक को हुए नुकसान की भरपाई करना ताकि वह आर्थिक रूप से उसी स्थिति में लौट सके, जिसमें वह नुकसान से पहले था।

विवरण:

  • सिद्धांत: “No Profit, No Loss” — यानी पॉलिसीधारक को लाभ नहीं, बल्कि केवल वास्तविक नुकसान की भरपाई।
  • प्रयोग: हुल, पेलोड या तीसरे पक्ष की क्षति पर लागू।

उदाहरण:
यदि ₹2 लाख का ड्रोन क्रैश हो जाता है, तो बीमा कंपनी ₹2 लाख तक का मुआवज़ा देगी — लेकिन अपग्रेडेड मॉडल नहीं देगी।

महत्व:
यह बीमा अनुबंध का मूल सिद्धांत है, जो पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।


38. अंडरराइटिंग (Underwriting)

परिभाषा:
बीमा कंपनी द्वारा जोखिम का आकलन कर यह तय करना कि पॉलिसी दी जाए या नहीं, और यदि दी जाए तो किस प्रीमियम पर — इस प्रक्रिया को अंडरराइटिंग कहा जाता है।

विवरण:

  • जोखिम मूल्यांकन के कारक:
    • ड्रोन का प्रकार और आकार
    • उपयोग (कृषि, मीडिया, सर्वे आदि)
    • ऑपरेटर का अनुभव
    • उड़ान क्षेत्र और मौसम की स्थिति
  • परिणाम: अंडरराइटिंग रिपोर्ट के आधार पर प्रीमियम और कवरेज तय होता है।

उदाहरण:
यदि ड्रोन भीड़ वाले शहरी क्षेत्र में उपयोग होता है, तो अंडरराइटर अधिक प्रीमियम तय करेगा क्योंकि जोखिम अधिक है।

महत्व:
यह बीमा की लागत और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखता है।


39. जोखिम मूल्यांकन (Risk Assessment)

परिभाषा:
यह ड्रोन संचालन से जुड़े संभावित जोखिमों की पहचान और विश्लेषण की प्रक्रिया है।

विवरण:

  • मूल्यांकन के पहलू:
    • उड़ान की ऊँचाई और दूरी
    • मौसम और भौगोलिक स्थिति
    • उपकरण की तकनीकी स्थिति
    • ऑपरेटर का प्रशिक्षण स्तर
  • उद्देश्य: संभावित नुकसान को पहले से समझना और निवारक उपाय करना।

उदाहरण:
यदि किसी ड्रोन को हवाई अड्डे के पास उड़ाना है, तो जोखिम स्तर “उच्च” माना जाएगा और बीमा कंपनी प्रीमियम बढ़ा सकती है।

महत्व:
यह सुरक्षित उड़ान और उचित बीमा योजना के लिए आवश्यक कदम है।


40. बीमा प्रमाणपत्र (Certificate of Insurance)

परिभाषा:
यह एक आधिकारिक दस्तावेज़ है जो यह प्रमाणित करता है कि आपके ड्रोन पर वैध बीमा कवरेज लागू है।

विवरण:

  • दस्तावेज़ में शामिल विवरण:
    • पॉलिसी नंबर
    • कवरेज की राशि
    • अवधि
    • बीमा कंपनी का नाम
  • प्रयोग: DGCA पंजीकरण, टेंडर, या कॉर्पोरेट अनुबंधों में आवश्यक।

उदाहरण:
किसी सरकारी प्रोजेक्ट में ड्रोन सर्वे करने के लिए आपको बीमा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें कवरेज और वैधता की जानकारी हो।

महत्व:
यह वैध संचालन और कानूनी अनुपालन (Compliance) का प्रमाण होता है — बिना इसके अधिकांश संस्थाएँ ड्रोन ऑपरेशन की अनुमति नहीं देतीं।


41. पॉलिसी रिन्यूअल (Policy Renewal)

परिभाषा:
जब आपकी मौजूदा बीमा पॉलिसी की अवधि समाप्त हो जाती है, तो उसे नई अवधि के लिए बढ़ाना “रिन्यूअल” कहलाता है।

विवरण:

  • समय सीमा: सामान्यतः पॉलिसी 12 महीने के लिए होती है और समाप्ति से पहले रिन्यू करनी होती है।
  • प्रक्रिया: बीमा कंपनी को रिन्यूअल आवेदन देना, प्रीमियम का भुगतान करना और आवश्यकतानुसार अपडेटेड दस्तावेज़ प्रस्तुत करना।
  • देरी का प्रभाव: देर से रिन्यू करने पर कवरेज में गैप (Break-in Period) आ सकता है।

उदाहरण:
यदि आपकी पॉलिसी 31 मार्च को समाप्त हो रही है, तो 25 मार्च तक रिन्यूअल करवाने पर निरंतर सुरक्षा बनी रहेगी।

महत्व:
समय पर रिन्यूअल करने से “नो क्लेम बोनस” जारी रहता है और ड्रोन संचालन निरंतर वैध रहता है।


42. पॉलिसी लैप्स (Policy Lapse)

परिभाषा:
जब पॉलिसी निर्धारित समय पर रिन्यू नहीं की जाती, तो उसका कवरेज समाप्त हो जाता है — इसे पॉलिसी लैप्स कहा जाता है।

विवरण:

  • परिणाम:
    • कवरेज निष्क्रिय हो जाता है।
    • नई पॉलिसी खरीदने पर फिर से निरीक्षण (Inspection) की आवश्यकता हो सकती है।
    • “नो क्लेम बोनस” समाप्त हो सकता है।

उदाहरण:
अगर आपकी ड्रोन बीमा पॉलिसी 1 अगस्त को समाप्त हो गई और आपने 10 अगस्त तक रिन्यू नहीं की, तो यह लैप्स मानी जाएगी।

महत्व:
यह सुनिश्चित करें कि रिन्यूअल तिथि से पहले भुगतान कर दिया जाए ताकि ड्रोन संचालन में कोई बाधा न आए।


43. क्लॉज़ (Clauses)

परिभाषा:
क्लॉज़ पॉलिसी में लिखी गई वे विशेष शर्तें हैं जो बीमा अनुबंध की सीमा, अपवाद या अतिरिक्त सुरक्षा को परिभाषित करती हैं।

विवरण:

  • प्रकार:
    • War Clause – युद्ध या आतंकी घटनाओं के अपवाद।
    • Training Clause – केवल प्रमाणित ऑपरेटर द्वारा उड़ान की अनुमति।
    • Maintenance Clause – ड्रोन को नियमित सर्विसिंग का निर्देश।

उदाहरण:
यदि “War Clause” लागू है, तो युद्ध या विद्रोह के दौरान हुई क्षति बीमा में शामिल नहीं होगी।

महत्व:
क्लॉज़ को पढ़ना और समझना बहुत आवश्यक है — यह तय करता है कि बीमा कब लागू होगा और कब नहीं।


44. विशेष शर्तें (Special Conditions)

परिभाषा:
बीमा अनुबंध में लिखी गई वे विशिष्ट परिस्थितियाँ जिनके पूरा होने पर ही कवरेज मान्य होता है।

विवरण:

  • उदाहरण:
    • ड्रोन केवल DGCA-स्वीकृत क्षेत्र में उड़ाया जाए।
    • नियमित प्री-फ्लाइट चेकलिस्ट का पालन किया जाए।
    • केवल लाइसेंस प्राप्त पायलट उड़ान संचालित करे।

महत्व:
इन शर्तों का पालन न करने पर बीमा दावा अस्वीकार किया जा सकता है, चाहे नुकसान वास्तविक ही क्यों न हो।


45. नॉन-डिस्क्लोज़र (Non-Disclosure)

परिभाषा:
जब बीमा आवेदन करते समय आवश्यक या प्रासंगिक जानकारी जानबूझकर या गलती से नहीं दी जाती, तो इसे “नॉन-डिस्क्लोज़र” कहा जाता है।

विवरण:

  • उदाहरण:
    • ड्रोन पहले से क्षतिग्रस्त है, लेकिन आवेदन में इसका उल्लेख नहीं किया गया।
    • ऑपरेटर के पास वैध प्रशिक्षण प्रमाणपत्र नहीं है।

परिणाम:
बीमा कंपनी क्लेम अस्वीकार कर सकती है या पॉलिसी को शून्य (Void) घोषित कर सकती है।

महत्व:
हमेशा सटीक और पूर्ण जानकारी देना पारदर्शिता और वैधता दोनों के लिए आवश्यक है।


46. फॉल्स डिक्लेरेशन (False Declaration)

परिभाषा:
जब बीमित व्यक्ति जानबूझकर गलत जानकारी देता है, तो उसे “फॉल्स डिक्लेरेशन” कहा जाता है।

विवरण:

  • उदाहरण:
    • यह कहना कि ड्रोन “कृषि कार्यों” में उपयोग होगा, जबकि वास्तव में वह “फिल्म शूटिंग” के लिए उपयोग हो रहा है।
    • उड़ान क्षेत्र को ग्रामीण बताते हुए वास्तव में शहरी इलाके में उड़ाना।

परिणाम:
यह गंभीर अनुबंध उल्लंघन माना जाता है, और बीमा कंपनी क्लेम न केवल अस्वीकार कर सकती है बल्कि कानूनी कार्रवाई भी कर सकती है।

महत्व:
बीमा में ईमानदारी सर्वोपरि है — हर जानकारी वास्तविक और सत्य होनी चाहिए।


47. अनुपालन प्रमाण (Compliance Certificate)

परिभाषा:
यह प्रमाणपत्र बताता है कि आपका ड्रोन और उसका संचालन भारत के सभी लागू नियमों, जैसे DGCA और Drone Rules 2021, का पालन करता है।

विवरण:

  • मुख्य आवश्यकताएँ:
    • DGCA से UIN (Unmanned Aircraft Identification Number)
    • NPNT (No Permission, No Takeoff) सॉफ्टवेयर सक्षम
    • रिमोट पायलट का वैध लाइसेंस

उदाहरण:
किसी सरकारी परियोजना में भाग लेने के लिए ड्रोन ऑपरेटर को DGCA अनुपालन प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक होता है।

महत्व:
बीमा कंपनियाँ केवल उन्हीं ड्रोन को कवर करती हैं जो कानूनी रूप से प्रमाणित और पंजीकृत हैं।


48. दायित्व सीमा (Limit of Liability)

परिभाषा:
यह अधिकतम राशि है जो बीमा कंपनी किसी दावे या घटना के लिए भुगतान कर सकती है।

विवरण:

  • प्रकार:
    • प्रति घटना सीमा (Per Occurrence Limit)
    • वार्षिक सीमा (Aggregate Limit)
  • उदाहरण:
    यदि पॉलिसी में दायित्व सीमा ₹10 लाख है, तो किसी एक दुर्घटना में बीमा कंपनी इससे अधिक भुगतान नहीं करेगी।

महत्व:
पॉलिसी चुनते समय दायित्व सीमा का सही निर्धारण आवश्यक है ताकि बड़े नुकसान की स्थिति में पर्याप्त सुरक्षा रहे।


49. एक्सटेंशन कवरेज (Extension Coverage)

परिभाषा:
मूल पॉलिसी में शामिल नहीं किए गए अतिरिक्त जोखिमों को कवर करने के लिए यह सुविधा जोड़ी जाती है।

विवरण:

  • प्रकार:
    • Night Flight Extension
    • Over-Water Operation Extension
    • Payload Upgrade Extension

उदाहरण:
यदि आपका ड्रोन रात में सुरक्षा निगरानी करता है, तो “Night Flight Extension” से उसे कवरेज मिल सकता है।

महत्व:
एक्सटेंशन कवरेज पॉलिसी को आपके वास्तविक उपयोग के अनुसार कस्टमाइज़ करने की सुविधा देता है।


50. रिमोट पायलट सर्टिफिकेट अनुपालन (Remote Pilot Certificate Compliance)

परिभाषा:
यह सुनिश्चित करता है कि ड्रोन उड़ाने वाला व्यक्ति DGCA द्वारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थान से प्रमाणित रिमोट पायलट है।

विवरण:

  • प्रमाणपत्र: RPTO (Remote Pilot Training Organization) से जारी।
  • वैधता: आमतौर पर 10 वर्ष तक।
  • बीमा संबंध: कई बीमा कंपनियाँ केवल लाइसेंस प्राप्त पायलटों द्वारा संचालित ड्रोन को ही कवर करती हैं।

उदाहरण:
यदि किसी ड्रोन ऑपरेटर के पास वैध RPTO प्रमाणपत्र नहीं है, तो दुर्घटना की स्थिति में बीमा दावा अस्वीकार किया जा सकता है।

महत्व:
यह ड्रोन संचालन की वैधता और बीमा पात्रता दोनों का आधार है — हर बीमित ऑपरेटर के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए।


निष्कर्ष

भारत में ड्रोन बीमा केवल एक औपचारिकता नहीं है — यह कानूनी अनुपालन, वित्तीय सुरक्षा और पेशेवर विश्वसनीयता का आधार है।
इन 50 शब्दों की गहन समझ किसी भी ड्रोन ऑपरेटर, बीमा एजेंट या RPTO संस्था के लिए अनिवार्य है।

सही बीमा का चयन तभी संभव है जब आप यह जानें कि प्रत्येक शब्द आपके कवरेज, दावे और संचालन को कैसे प्रभावित करता है।


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